JNU में ‘राष्ट्र भक्ति’ जगाने के लिए लगेगा आर्मी टैंक, वीसी ने की मांग

 

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में रविवार को 18वें करगिल विजय दिवस के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में जेएनयू के कुलपति एम. जगदीश कुमार ने केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और जनरल वीके सिंह से गुजारिश की कि वे विश्वविद्यालय को सेना का एक टैंक दिलवाने में मदद करें. कुलपति के मुताबिक टैंक को कैंपस में एक प्रमुख स्थान पर लगाया जाएगा ताकि वह छात्रों को सेना के बलिदानों की याद दिलाता रहे. आपको बता दें कि जेएनयू में पहली बार करगिल विजय दिवस का आयोजन किया गया था.

आपको बता दें कि “राष्ट्रवाद पैदा करने” के लिए जेएनयू परिसर में एक सैन्य टैंक को रखने का विचार 9 फरवरी, 2016 को आयोजित उस कार्यक्रम के बाद ही आया है जिसमें कथित रूप से भारत विरोधी नारे लगने के कारण छात्रों को राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.

शहीदों को दी श्रद्धांजलि

इस मौके पर रविवार को तिरंगा मार्च निकाला गया और देश के लिए शहीद हुए जवानों को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी गई. इस मार्च का आयोजन विश्वविद्यालय प्रशासन और ‘वेट्रंस इंडिया’ ने किया था. जेएनयू के मेन गेट से शुरू हुए तिरंगा मार्च में दो केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और जनरल वी के सिंह, ‘वेट्रंस इंडिया’ के मेंटर मेजर जनरल जी डी बख्शी और क्रिकेटर गौतम गंभीर भी शामिल हुए. कार्यक्रम में तमाम लोगों ने हिस्सा लिया और 2,200 फीट लंबे तिरंगे को मेन गेट से कन्वेंस सेंटर तक करीब दो किलोमीटर लेकर गए. मार्च में 23 शहीदों के परिजनों ने भी भाग लिया.

केंद्रीय मंत्री ने कार्यक्रम को बताया ऐतिहासिक

केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस मौके पर कहा कि जेएनयू ने सेना को सम्मान देने का एक उदाहरण दिया है. वहीं, देश के पूर्व सेनाध्यक्ष और विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह ने भारतीय सेना के साथ अपने अनुभवों को साझा किया. प्रधान ने कहा, “जेएनयू ने भारतीय सैनिकों का सम्मान कर पूरे देश के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत किया है. मैं जेएनयू के कुलपति को इस कार्यक्रम के आयोजन पर ढेर सारी बधाई देता हूं. ये कार्यक्रम ऐतिहासिक था और सभी भारतीयों के लिए गर्व का विषय भी है.”

इसी दिन करगिल में मिली थी जीत

आपको बता दें कि 26 जुलाई को देशभर में करगिल विजय दिवस के रुप में मनाया जाता है. 18 साल पहले 26 जुलाई 1999 को भारतीय सेना ने करगिल में पाकिस्तानी घुसपैठियों को भारतीय जमीन से खदेड़ भगाया था. भारतीय सैनिकों के सम्मान में हर साल इसे विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है.

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