दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि गरीब, आम लोगों की कोई आवाज नहीं है. पुलिस उन्हें नजरअंदाज करती है क्योंकि उनसे पैसा नहीं कमाया जा सकता और कोई सीनियर अफसर उन्हें फोन नहीं करेगा.
कोर्ट ने ये टिप्पणियां उस समय कीं, जब दो बच्चों की एक मां ने अदालत को बताया कि पुलिस ने उसकी शिकायत पर कोई एक्शन नहीं लिया. महिला की शिकायत थी कि उसका पति और ससुराल वाले उसके बच्चों को जबरन ले गए तो पुलिस ने कुछ नहीं किया.
जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस दीपा शर्मा की पीठ ने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य है कि इस देश, इस शहर में गरीब, आम लोगों की कोई आवाज नहीं है. जब वे थाने जाते हैं तो पुलिस उन्हें नजरअंदाज करती है क्योंकि उनसे कोई धन नहीं कमाया जा सकता और कोई सीनियर अफसर फोन करने नहीं जा रहा.’ महिला की याचिका के अनुसार, 15 अप्रैल को उसे ससुराल से निकाल दिया गया और वह अपनी मां के घर चली गई थी.
चार दिन बाद उसका पति और ससुराल वाले उसकी मां के घर पर आए और उसके बच्चों को जबरन पंजाब के होशियारपुर ले गए.
महिला का दावा है कि उसने उत्तरी दिल्ली के तिमारपुर में पास के थाने में इसकी जानकारी दी, लेकिन अधिकारियों ने उसकी कोई मदद नहीं की. पीठ ने शुक्रवार को थाना प्रभारी को महिला की शिकायत पर कदम उठाने को कहा.